दिनमान से इष्टकाल और लग्न निकालने की विधि ।

प्रिय पाठक गण जन्म पत्रिका निर्माण मे सबसे पहला कार्य है लग्न का निर्धारण । लग्न निर्धारण जितना शुद्ध होगा कुण्डली उतनी ही शुद्ध बनेगी इसलिए लग्न का निर्धारण बहुत ही महत्वपूर्ण है । लग्न निर्धारण का पहला अंग है इष्टकाल इसी इष्टकाल के आधार पर जन्म पत्रिका या कुण्डली का निर्माण किया जाता है । इष्ट काल निकालने की शास्त्रों मे कइ प्रकार की विधि बताया गया है मगर 2 विधि विशेष प्रचलित है 1- दिनमान से 2- सूर्योदय से हम यंहा दिनमान से इष्टकाल और इष्टकाल से लग्न बनाने अथवा निकालने की विधि बता रहा हूं ।
          ।। दिनमान से लग्न निकालने की पद्धति ।।
यदि पंचांग की सहायता से जन्म पत्रिका का निर्माण करना हो तो सबसे पहले पंचांग मे लिखा दिनमान नोट करले इसके बाद उक्त दिनमान का आधा करके अर्ध दिनमान या दिनार्ध भी नोट करले इसी प्रकार से 60 मे दिनमान घटा कर रात्रिमान नोट करले और रात्रिमान को आधा करके दिनमान मे जोडकर अर्धरात्रिमान या रात्यर्ध भी नोट करले ।
यदि जन्म समय दिन के 12 से पहले का हो तो जन्म समय 12 मे घटावे यदि जन्म समय 12 के बाद हो तो जन्म समय को घटी पल बनाकर दिनार्ध मे जोडे ।
किसी भी अंग्रेजी समय को घटी पल बनाने के लिये 5 से गुणा करके 2 से भाग देने पर घटी पल प्राप्त हो जाता है अर्थात समय को अढाई गुणा करने पर घटी पल होता है ।
प्राप्त घटी पल को भी नोट करले ।
यदि जन्म दिन के 12 बजे के पहले का है तो प्राप्त घटी पल को दिनार्ध मे घटाने से और जन्म यदि दिन के 12 बजे के बाद का हो तो दिनार्ध मे जोड देने से इष्टकाल होता है इसी प्रकार यदि जन्म रात्रि 12 के पहले का हो तो जन्म समय को अर्धरात्रिमान मे घटावे और यदि जन्म समय रात्रि 12 के बाद का हो तो जन्म समय(घटी पल) अर्धरात्रिमान मे जोड दे तो इष्टकाल प्राप्त हो जाता है ।
अब तक प्राप्त इष्टकाल कच्चा इष्टकाल होता है इस कच्चे इष्टकाल को शुद्ध इष्टकाल बनाने के लिये इसमें देशान्तर संस्कार और रेलवे अंतर का संस्कार करने से शुद्ध इष्ट काल होता है ।
नोट- हमारे काशी मे पंचांग सूर्य घडी से बनाया जाता और भी बहुत पंचांग सूर्य घडी से बनाया जाता है मगर सूर्य घडी और स्टैंडर्ड टाइम मे कुछ मिनटों का अंतर होता है इसी अंतर को रेलवे अंतर कहा जाता है ।
रेलवे अंतर को स्टैंडर्ड टाइम बनाना हो तो संकेतानुसार संस्कार करना चाहिए और सूर्य घडी के लिए विपरीत संस्कार करना चाहिए जैसे धन को ऋण और ऋण को धन करना चाहिए ।

                             ।। उदाहरण ।।
माना कि हमे 8 अप्रैल 2016 को दिन 10 बजे बलिया उ0 प्रदेश का जन्म पत्रिका बनाना है ।
8 अप्रैल 2016 का पंचांग देखा तो दिनमान 31.09 है इसको आधा किया तो 15.34 आया इसी प्रकार 60 मे दिनमान घटाकर 28.51 रात्रिमान निकाला फिर इसको आधा करके दिनमान मे जोडा तो रात्यर्ध 45.34 आया ।
जन्म समय दिन 10. 00 को पहले रेलवे अंतर से संस्कार करे चूंकि जन्म समय स्टैंडर्ड टाइम मे है और पंचांग सूर्य घडी मे बना है अतः रेलवे अंतर का विपरीत संस्कार करे जैसे 8 अप्रैल 2016 को रेलवे अंतर -0है अतः समय मे +0 जोड दे =10 आया दिनांक 10 अप्रैल 2016 को- 1 रेलवे अंतर है अतः इस दिनांक का जब हम रेलवे अंतर करेंगे तो 10 +01 =10.01 करना होगा चूंकि 8 अप्रैल 2016 को- 0 है अतः 10 का 10 ही रहा ।
अब 12 मे 10 घटाया तो 2 आया इस 2 का घटी पल बनाया तो 5 हुआ इस 5 को दिनार्ध 15.34 मे घटाया तो 10.34 आया ये 10.34 कच्चा इष्ट है इसको शुद्ध बनाने के लिये देशान्तर संस्कार देखा तो बलिया का 11.50 पल पूर्व आया पूर्व का चिंह +होता है और पश्चिम का चिंह- होता है ।चूंकि पंचांग के सभी घंटा मिनट सूर्य घडी मे है अतः इस इष्ट काल को सूर्य घडी मे बदलने के लिए विपरीत संस्कार करे जैसे 10.34 मे 11.50 पल पूर्व होने से जोडा तो शुद्ध इष्ट काल 10.45.10 आया ।साफ्टवेयर मे बलिया (ballia. up)का देशान्तर 6.39 मिनट अर्थात् 16.37 घटी पल आया है इस हिसाब से शुद्ध इष्टकाल 10.50.37 हुआ ।
नोट- साफ्टवेयर के देशान्तर और काशी के पंचांग से देशान्तर मे लगभग 4 पल का अंतर है इसका कारण यह है की वर्तमान मे भारतीय मानक समय (Indian standard time)देशान्तर  82/30 पूर्वी गोलार्ध पर आधारित है जो कि उतर प्रदेश के मिर्जा पुर जनपत के विंध्याचल रेलवे स्टेशन के समीप है अतः साफ्टवेयर यही के देशान्तर से बना है अतः काशी से मिर्जा पुर  का देशान्तर पश्चिम 3.50पल  है और काशी से बलिया का देशान्तर पूर्व 11.50 पल है अतः दोनो को जोडने से 15.40 हो रहा है चूंकि मिर्जापुर से विंध्याचल की भी कुछ दुरी है जिसके देशान्तर की गणना यंहा नही किया गया है उसको भी जोड देने से विंध्याचल से बलिया का देशान्तर 16.37 हो जायेगा इसलिए साफ्टवेयर से प्राप्त इष्ट काल भी सही है और काशी के पंचांग से निकाला गया इष्ट काल भी सही है ।
        ।। इष्ट काल से लग्न निकालने की विधि ।।
यदि पंचांग के द्वारा लग्न निर्धारण करना हो तो हर पंचांग मे एक लग्न निकालने की सारणी छपी होती है जैसे काशी के पंचांग मे (काशी मे चैत्र पक्षीय 24.00.00 अयनांश संबंधित सायन स्फुट लग्न सारिणी) नाम से छपा है इसी प्रकार से हर जगह के पंचांगो मे छपा होगा आप इसे पंचांग मे आसानी से प्राप्त कर सकते है ।
इष्ट काल से लग्न निकालने के लिये सबसे पहले पंचांग मे छपा दैनिक सूर्य राशि अंश कला आदि को नोट करके उसमें इष्ट काल को जोडने से जन्म समय का स्पष्ट सूर्य होगा इस स्पष्ट सूर्य के राशि अंशों से कोष्ठक मे लिखा अंश कला विकला मे इष्ट काल जोडने से जो अंश कला विकला आवे उसके उपर अंश और बांये राशि होता है ।
जैसे पंचांग मे 8 अप्रैल 2016 को प्रातः का सूर्य स्पष्ट 11.24.26.49 है इसमें इष्ट काल 10.46 जोडा तो 11.24.37.35  आया । इसको सारिणी मे देखा तो
2.7.37  आया इसमें इष्ट काल10.46 जोडा तो 12.53.37 आया इसको कोष्ठक मे देखा तो 2.06 आया अर्थात् मिथुन लग्न 06 अंश पर है ।
नोट- साफ्टवेयर के अनुसार भी 8 अप्रैल 2016 को दिन 10 बजे बलिया का लग्न 2.06.28.06 आया है अतः दोनो विधि से लग्न एक समान प्राप्त है ।
लग्न निकालने का एक सरल विधि और है इष्ट काल को 5 से भाग दे कर लब्ध को औदयिक सूर्य मे जोडने से भी स्पष्ट लग्न आ जाता है ।
जैसे- इष्ट काल 10.46 को 5 से भाग दिया तो लब्ध 2.9.12आया इसको औदयिक सूर्य स्पष्ट 11.24.26.49 मे जोडा तो 14.03.38.49 आया ये 12 से अधिक होने पर 12 घटाया तो शेष 2.03.38.49 आया अतः इस प्रकार से भी लग्न मिथुन राशि का ही आ रहा है ।
दोनो ही प्रकार से लग्न निकाला जा सकता है ।

यदि जन्म समय शाम के 4 बजे का हो तो रेलवे अंतर संस्कार के बाद इसका घटी पल बनाकर दिनार्ध मे जोड देने से कच्चा इष्ट काल आ जायेगा फिर देशान्तर संस्कार करने पर शुद्ध इष्ट काल निकल जायेगा । जैसे 8 अप्रैल 2016 को -0 रेलवे अंतर है यंहा 0 है अगर कोइ अंक होता तो इसे  सूर्य घडी मे परिवर्तित करने के लिये विपरीत संस्कार अर्थात् ऋण का धन करके जोड कर उसका घटी पल बनाना होगा जैसे शाम 4. 00 मे +0=4 ×5÷2 =10.00 हुआ इसे दिनार्ध 15.34 को जोडा तो 25.34 आया इसमें देशान्तर पूर्व 11.50 पल जोडा तो 25.46 आया ये शुद्ध इष्टकाल है ।
इस शुद्ध इष्टकाल को औदयिक स्पष्ट सूर्य मे जोड दे। जैसे 11.24.26.49 मे 25.46 जोडा तो 11.24.52.35 आया सायन लग्न सारिणी मे देखा तो 2.7.37 आया इसमें 25.46 जोडा तो 27.53.37 आया इसको कोष्ठक मे देखा तो 4.26 आया अर्थात् सिंह लग्न मे 26 अंश व्यतीत हो रहा है ।
साफ्टवेयर के अनुसार भी 4.25.48.43 है अतः ये सही सिद्ध हो रहा है ये शुद्ध लग्न है ।

यदि जन्म समय रात्रि 10 का हो तो दिन मे जिस प्रकार लग्न निकाला था वही विधि यंहा भी प्रयोग करना है जैसे 12 मे 10 घटाकर शेष का घट्यादि बनाकर रात्यर्ध मे घटाकर देशान्तर संस्कार करने से शुद्ध इष्टकाल होता है इस इष्टकाल के द्वारा बताई गयी विधि अनुसार लग्न निकाला जायेगा ।जैसे जन्म समय 10 को 12 मे घटाया तो शेष 2 आया रेलवे संस्कार 0 होने से शेष 2 ही रहा इसका घटी बनाया तो 5 हुआ इस 5 को रात्यर्ध 45.34 मे घटाया तो 40.34 आया इसमें देशान्तर पूर्व होने से 11.50 पल को जोड दिया तो शुद्ध इष्टकाल 40.46 आया ।
8 अप्रैल 2016 को औदयिक स्पष्ट सूर्य 11.24.26.49 मे 24 अंश के नीचे देखा तो 2.7.37 आया इसमें इष्ट काल जोडने से 42.53.37 आया कोष्ठक मे देखा तो 42.53 वृश्चिक राशि के 15 अंश पर आया यह 7.15 ही लग्न है ।
साफ्टवेयर से मिलान करने पर यह लग्न सही पाया गया है ।
यदि रात्रि 4 बजे का लग्न निर्धारण करना है तो 4 को घटयादि बना कर रात्यर्ध मे जोडकर देशान्तर संस्कार करने से शुद्ध इष्ट काल प्राप्त होगा जैसे 4 को घटी बनाया तो 10 आया इसको रात्यर्ध45.34 मे जोड दिया तो 55.34 आया इसमें देशान्तर 11.50 अर्थात् 12 का संस्कार किया तो 55.46 आया इस शुद्ध इष्ट काल को पंचांग के सायन लग्न सारिणी मे सूर्य राशि अंश 11.24.26.49 के तहत देखा तो 2.7.37 आया इसमें इष्ट काल जोडने पर जोड फल 57.53.37 आया इसको कोष्ठक मे देखा तो 10.20 आया अर्थात् कुंभ लग्न का 20 अंश व्यतीत हो चुका है ।


टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
बहुत सुंदर वर्णन
Unknown ने कहा…
Software ka nam batane ki kripa kariye
Unknown ने कहा…
7/11/200 ko 4:15 bje ka isht

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