पञ्चधा मैत्री चक्रम

😓 प्रिय पाठक गण-

                    💢 जनम कुंडली निर्माण में  जिस प्रकार  पत्रिका  शुद्ध बने इसकी व्यवस्था हमें करनी पड़ती है  वैसे ही जन्म कुण्डली हर संसाधनों से परिपूर्ण हो इसकी भी हमें व्यवस्था करनी पड़ती है क्योंकि कुण्डली निर्माण के बाद जब हम फलादेश करते है तब हमें इन संसाधनों कि आवश्य्कता पड़ती है | 

ज्योतिष के बहुत सारे संसाधनों में एक संसाधन पंचधा मैत्री चक्र है  यह चक्र बहुत ही आवश्यक है इसी चक्र से पता चलता है कि कौन ग्रह हमारे लिए शुभ है और कौन ग्रह अशुभ है किसकी दशा शुभ  होगी और किसकी दशा अशुभ होगी  यदि यह चक्र शुद्ध नहीं बना तो पता चलेगा शुभ ग्रह को हमने अशुभ घोषित कर दिया और अशुभ को सम बना दिया तो मनुष्य के जीवन से जनम कुण्डली का मिलान नहीं हो पायेगा और सब उलट पलट फलादेश होने लगेगा इसलिए जरुरत है कि हम शुद्ध पंचधा चक्र का निर्माण करे | 

शुद्ध पंचधा चक्र का निर्माण करने से पहले हम यह जानेंगे की इस चक्र को पंचधा कहते क्यों है क्या है इस चक्र में और क्यों जरुरत है इस चक्र की आइये इसकी विस्तार से चर्चा करते है | 

पंचधा चक्र पांच प्रकार के मैत्री से बनता है  यह पांच मैत्री इसप्रकार है अधिमित्र ,मित्र ,सम ,शत्रु और अधिशत्रु , इस मैत्री को बनाने के लिए हमें नैसर्गिक मैत्री चक्र और तात्कालिक मैत्री चक्र की जरुरत पड़ती है नैसर्गिक मैत्री चक्र तो आपको पंचांगों में मिल जायेगा लेकिन तात्कालिक मैत्री चक्र हमें ग्रहों की स्थिति के अनुसार बनाना पड़ता है तो सबसे पहले हम नैसर्गिक मैत्री को जान लेते है | 

सूर्य - मंगल ,गुरु व चंद्र मित्र और बुध सम तथा शुक्र व शनि शत्रु होते है | चन्द्रमा -सूर्य बुध मित्र शेष सभी {मंगल गुरु शुक्र शनि सम होते है मंगल -गुरु चंद्र सूर्य मित्र बुध शत्रु व शनि सम होते है बुध -सूर्य शुक्र मित्र चन्द्रमा शत्रु एवं शेष ग्रह {मंगल गुरु शनि }सम होते है गुरु-बुध शुक्र शत्रु शनि सम और शेष सभी सूर्य चंद्र मंगल मित्र होते है शुक्र -बुध शनि मित्र मंगल गुरु सम और सूर्य चंद्र मित्र होते है शनि - बुध शुक्र मित्र गुरु सम और सूर्य चंद्र मंगल शत्रु होते है | 

आप इसे निचे दिए गए चक्र में भी देख सकते है | 


अभी तक आपने नैसर्गिक ग्रह मैत्री को जाना है अब हम तात्कालिक ग्रह मैत्री बनाएंगे तात्कालिक मैत्री बनाने का सूत्र इस प्रकार है | 

ग्रह स्थित भाव से 2 ,3 ,4 ,10 ,11 ,12 वे भाव में स्थित ग्रह मित्र होते है | 
ग्रह स्थित भाव से 1 ,5 ,6 ,7 ,8 ,9  वे भाव में स्थित ग्रह शत्रु होते है | 

तात्कालिक ग्रह मैत्री हम जन्म  कुण्डली से बनाते  है इसे  बनाने के लिए जनम कुण्डली की आवश्यकता होती है इसलिए हम एक जनम कुण्डली का लग्न चक्र ले लेते है 

   
                                                                                    

अब हम उपरोक्त कुण्डली के आधार पर तात्कालिक मैत्री चक्र बनाएंगे सबसे पहले हम सूर्य से आरम्भ करते है 
सूर्य -से 2 रे स्थान में गुरु है अतः मित्र है इसे मित्र के स्थान पर रखेंगे 7 वे स्थान पर स्थित चन्द्रमा शत्रु होगा इसलिए इसे शत्रु स्थान में रखेंगे 11 वे और 12 वे  स्थान मित्र का है  इसलिए 11 वे  का शनि और 12 वे का शुक्र  मित्र होगा | 
चन्द्रमा -से शनि 5 वे शुक्र 6 वे सूर्य मंगल बुध 7 वे और गुरु 8 स्थान में है यह सभी शत्रु स्थान है तो ये सभी  शत्रु होंगे मित्र स्थान में कोई ग्रह नहीं है इसलिए इनका कोई मित्र नहीं है | 
अब आप इसी आधार पर मंगल ,बुध ,गुरु ,शुक्र ,शनि का भी तात्कालिक मित्र शत्रु ग्रह निर्धारित कर लेंगे | 

अब हम दोनों चक्रो के ग्रहो  के आधार पर पंचधा मैत्री चक्र बनाएंगे इसका सूत्र इस प्रकार है | 
मित्र +मित्र =अधिमित्र , मित्र +सम =मित्र , मित्र +शत्रु =सम , शत्रु + मित्र =सम , शत्रु +सम =शत्रु ,शत्रु +शत्रु =अधिशत्रु | 
पञ्चधा मैत्री चक्रम

अगर कोई ग्रह नैसर्गिक मैत्री चक्र में मित्र है और तात्कालिक मैत्री चक्र में भी मित्र है तो मित्र मित्र मिलकर अधिमित्र बन जाते है यदि कोई ग्रह नैसर्गिक में मित्र है और तात्कालिक में सत्रु है तो सम बन जाते है इनकी गणना सम में होती है यदि कोई ग्रह नैसर्गिक में सम है और तात्कालिक में मित्र है तो मित्र की संज्ञा होती ही ऐसे ही कोई ग्रह नैसर्गिक में सम  है और तात्कालिक में शत्रु है तो पंचधा में शत्रु हो जायेंगे और नैसर्गिक तथा तात्कालिक दोनों में सत्रु है तो उसे अधिशत्रु माना जाता है इस प्रकार दोनों चक्रो के आधार पर हम तीसरा चक्र पंचधा मैत्री चक्र बनाएंगे जन्म कुण्डली में पञ्चधा
 मैत्री चक्र इस प्रकार का होता है  आप तस्वीर में इस चक्र को देख सकते है इसमें पहला कालम अधिमित्र का है दुसरा कालम मित्र का है तीसरा कालम सम का है चौथा कालम शत्रु का है और पांचवा कॉलम अधिशत्रु का है जो ग्रह जिस कालम का है उसमे भर देने से आपका पंचधा मैत्री चक्र बन जायेगा ज्योतिष सिखने वाले बिद्यार्थी इस तरह सहजता से चक्र बना लेंगे आशा है यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा अगर कोई बात समझ में नहीं आता है तो कमेंट करके पूछ सकते है यह लेख आपको कैसा लगा बताने की कृपा करेंगे धन्यबाद | 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सूर्योदय से इष्टकाल का निर्धारण ।

दिनमान से इष्टकाल और लग्न निकालने की विधि ।