सूर्योदय से इष्टकाल का निर्धारण ।

जन्म कुण्डली निर्माण मे इष्टकाल और लग्न का बहुत ही महत्व होता है यह आप सब दिनमान से लग्न निकालने की विधि से जान चुके होंगे ।यह इष्टकाल जितना शुद्ध होगा उतना ही शुद्ध लग्न होगा और उतना ही शुद्ध कुण्डली अर्थात् जन्म पत्रिका बनेगी । कहने का मतलब है इष्टकाल जन्म पत्रिका रूपी महल (मकान) का नीव (आधार) है यह आधार जितना मजबूत होगा मकान उतने मजबूत बनेगी इसी प्रकार से इष्टकाल जितना शुद्ध होगा कुण्डली उतनी ही शुद्ध बनेगी ।

अभी तक आपलोगों ने दिनमान से इष्टकाल निकालने की विधि को जाना है अब हम सूर्योदय से इष्टकाल और लग्न निकालने की विधि लिखेंगे जो दिनमान की विधि से बहुत ही आसान और सरल है इसे हम आसानी से समझ सकते है ।
जिस प्रकार हम दिनमान से लग्न निकालते है ठीक उसी प्रकार से सूर्योदय से निकालेंगे वैसे दोनो का परिणाम एक समान ही आता है पर कभी कभी एकाध पल का अंतर आ जाता है ।
सबसे पहले हम पंचांग मे लिखित सूर्योदय को नोट कर ले इस सूर्योदय मे संकेता अनुसार रेलवे अंतर का संस्कार करे ।संस्कार करने के बाद जो समय आयेगा उसको नोट करले तथा जन्म समय मे इस संस्कारित समय को घटा कर शेष को घटी पल बनाले तथा इसमें देशान्तर संस्कार करने पर शुद्ध इष्टकाल प्राप्त हो जायेगा ।

                          ।। उदाहरण ।।
माना की हमे 30 मार्च 2017 को दिन  10.00 (am) बलिया का शुद्ध इष्टकाल निकालना है ।
सबसे पहले हमने काशी विश्वनाथ पंचांग मे 30 मार्च 2017 का सूर्योदय देखा तो हमे सूर्योदय 5.53 मिला रेलवे अंतर सारणी मे रेलवे अंतर +3 मिला तो सूर्योदय मे रेलवे अंतर का संकेतानुसार संस्कार करने पर हमे शुद्ध सूर्योदय 5.56 प्राप्त हुआ इसको हमने नोट कर लिया ।
जन्म समय 10.00 मे इस संस्कारित सूर्योदय को घटाया जैसे 10.00 -5.56 =04.04 आया इसको 2.50 से गुणा कर घटी पल बनाया तो 10.10 आया इसमें बलिया का देशान्तर +12 जोड दिया तो शुद्ध इष्ट काल 10.22 प्राप्त हुआ ।
इसी प्रकार किसी भी समय का शुद्ध इष्टकाल प्राप्त किया जा सकता है ।
रात्रि 12 बजे के बाद के समय मे 24 जोड कर सूर्योदय घटाना चाहिए ।
जैसे अगर रात्रि 2.00 बजे किसी का जन्म हो तो उसके लिए 2.00 मे 24 जोड दे तो 26.00 होगा इसमें सूर्योदय 5.56 घटाया तो 20.04 आया इसको 2.5 से गुणा कर घटी पल बनाया तो 50.10 आया इस कच्चे इष्ट मे +12 बलिया का देशान्तर संस्कार किया तो 50.22 शुद्ध इष्ट काल प्राप्त हुआ ।

नोट- सूर्यास्त  के बाद रात्रि 12 बजे के पहले हुये जन्म समय के लिये एक और नियम है यह नियम भी शुद्ध है और दोनो का परिणाम एक बराबर ही होता है ।
नियम- जन्म समय यदि 12 से पहले का हो तो जन्म समय मे सूर्यास्त घटाकर दिनमान जोडने से इष्ट काल होता है और रात्रि 12 के बाद का जन्म हो तो 12 मे जन्म समय जोड कर सूर्यास्त घटाया जायेगा ।

माना कि हमे दिनांक 30 मार्च 2017 का बलिया जनपद उत्तर प्रदेश का रात्रि 10.00 का इष्ट काल निकालना है तो सबसे पहले हम सूर्यास्त 6.07 मे रेलवे अंतर +3 का संकेतानुसार संस्कार किया तो 6.10 आया इसको जन्म समय 10.00 मे घटाया तो 3.50 आया इसको 5 से गुणा कर 2 से भाग दिया तो 9. 35 घटी पल आया इसमें +12 बलिया का देशान्तर संस्कार किया तो 9.47 आया इसमें दिनमान 30.35 जोडा तो 40.22 आया यह बलिया का शुद्ध इष्ट काल है ।
इसी प्रकार अगर हमे 12 बजे रात्रि के बाद का इष्ट काल निकालना हो तो जन्म समय 12 मे जोड कर सूर्यास्त घटाकर निकालेंगे ।
जैसे किसी का जन्म 30/31 मार्च 2017 को 2.00 am को बलिया जनपद उत्तर प्रदेश में हुआ हो तो पहले 12 मे 2.00 को जोडेंगे तो 14 होगा इसमें रेलवे अंतर संस्कारित सूर्यास्त 6.10 घटाया तो 7.50 आया इसको 5 से गुणा कर 2 से भाग देकर घटी पल बनाया तो 19.35 आया इसमें दिनमान 30.35 जोडा तो 50.10 आया देशान्तर संस्कार +12 जोडा तो 50.22 आया यही शुद्ध इष्ट काल है ।
इस प्रकार आपने देखा दोनो ही प्रकार से एक समान इष्ट काल प्राप्त हुआ है इसी इष्ट काल से भाव लग्न का निर्धारण होता है  ।

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