सूर्योदय सूर्यास्त निकालने की विधि


मित्रों मैने ज्योंतिष के हर गंभीर विषय पर लेख लिखा है फिर भी कहीं न कही कोई कमी रह ही जाता है ।
हमारे पोस्टो पर कई मित्रो ने कमेंट मे सूर्योदय निकालने की विधि जानने की जानने की इच्छा प्रकट किये है इसलिये  मै इस संबंध मे एक पोस्ट लिख रहा हूं ताकी जिज्ञासु विस्तार पूर्वक जान सके और सहजता से सूर्योदय का सही समय निकाल सके ।
मित्रो सूर्योदय हमारे जीवन के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है और हम इसी सूर्योदय से अपने दैनिक जीवन के कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं सूर्योदय केवल जन्म पत्रिका के लिये ही नहीं बल्कि मुहूर्त आदि मे भी इसका उपयोग किया जाता है ।
इसलिये सही सूर्योदय जानना बहुत जरूरी होता है हर स्थान के पंच्चांगो मे स्थानीय सूर्योदय सूर्यास्त लिखा होता है मगर ये पंच्चांग किसी बडे शहरो का होता है भारत जैसे देश मे बडे बडे शहर है इसलिये एक शहर से दूसरे शहर का सूर्योदय समान नहीं होता है इसलिये हर स्थान का स्थानीय समय निकालने की जरूरत होती है ।
मित्रो  सूर्योदय निकालने की विधि जानने से पहले हमे समय भेद को अच्छी तरह से समझना होगा तभी हम इस प्रक्रिया को हम समझ सकते है ।
अन्तर्राष्ट्रीय समय ग्रीनविच टाइम के रूप मे जाना जाता है मगर हमारे देश मे समय स्थानीय (लोकल टाइम) मध्यम  (मीन टाइम) और मानक (स्टैंडर्ड टाइम) के रूप मे जाना जाता है ।
परन्तु इन समयो से पहले भारत मे धुप घडी से स्थानीय समय निकाला जाता था अर्थात् जब घडी मे 12 बजे तो उस समय सिर के ठीक उपर सूर्य होना चाहिए पर कांति पथ के झुकाव के वजह से हर दिन ऐसा नहीं होता है इसलिये मध्यम समय की कल्पना किया गया और प्रतिदिन 12 बजे ही मध्याह्न माना गया इस समय को मध्यम समय माना गया स्थानीय समय और मध्यम समय के अंतर को बेलान्तर कहा जाता है ।

सूत्र--बेलान्तर =धुप घडी का समय (--)मध्यम समय 

सूर्योदय निकालने की कुछ नियम है जिसको जानना जरूरी है ।

नियम- 

1-यदि धुप घडी का समय मध्यम समय से अधिक हो तो बेलान्तर धनात्मक होता है और मध्यम समय में बेलान्तर जोडने पर स्थानीय समय मान होता है ।

2- यदि धुप घडी का समय मध्यम समय से कम हो तो बेलान्तर ऋणात्मक होता है और मध्यम समय मे बेलान्तर घटाने पर स्थानीय समय होता है ।

3- स्थानीय से मध्यम समय बनाने के लिये विपरीत क्रिया करनी पडती है अर्थात धनात्मक को ऋणात्मक और ऋणात्मक को धनात्मक करना पडता है 
4-वर्ष मे केवल 4 दिन (25 दिसम्बर, 15अप्रैल, 15 जून, व 1सितम्बर) को धुप घडी का समय और मध्यम समय बराबर होता है अर्थात बेलान्तर शून्य होता है ।

स्थानीय सूर्योदय ज्ञात करने के लिये हमारे पास स्थानीय अक्षांश और सूर्य क्रात्यंश होना चाहिए जो हर पंच्चांगो मे मिल जाता है इन दोनो के द्वारा सूर्योदय प्राप्त करने का सूत्र निम्नलिखित है ।
नियम 2-
(क)अक्षांश और क्रात्यंश को गुणा करके गुणनफल मे 12.30 का भाग देने से भागफल चर मिनट मे प्राप्त होगा ।
(ख) उत्तरा क्रांति होने पर 6 घंटे मे चर मिनट जोडने से और दक्षिणा क्रांति होने पर 6 घंटे मे चर मिनट घटाने पर स्थानीय सूर्यास्त प्राप्त होता है लेकिन पूर्वोक्त नियमानुसार यहा विपरीत संस्कार करने होंगे अर्थात जहां चर मिनट जोडना है वहां घटायेंगे और जहां चर मिनट घटाना है वहा जोडने से स्थानीय सूर्यास्त प्राप्त होगा ।
(ग) -स्थानीय सूर्यास्त को 12 बजे घंटा मे घटाने से स्थानीय सूर्योदय प्राप्त होता है ।


उदाहरण- 
माना कि हमे 1 अक्टूबर 2021 को वाराणसी (काशी) का सूर्योदय सूर्यास्त प्राप्त करना है ।
अतः सबसे पहले हम काशी का अक्षांश 25.18 नोट कर लेते हैं ।
फिर हम 1 अक्टूबर 2021 का क्रात्यंश 3.11 उतरा नोट कर लिया ।
नियमानुसार हम अक्षांश और क्रात्यंश को गुणा करते हैं जैसे 25.18×3.11=78.30 गुणनफल आया ।
इस गुणनफल मे 12.30 से भाग देने पर भागफल 6 मिनट आया यह चर मिनट है ।
चुंकि क्रांति उत्तरा है इसलिये हम 6.00 घंटा मे 6 मिनट जोड़ेंगे तो स्थानीय सूर्यास्त 6.06 आया ।
इसे हम 12.00 घंटे मे घटाया तो 05.54 स्थानीय सूर्योदय प्राप्त हुआ । इस स्थानीय सूर्योदय सूर्यास्त में बिलोम बेलातर संस्कार करने पर मध्यम समय आ जाता हैं और इसी मध्यम समय को स्टैंडर्ड टाइम कहा जाता हैं।
इस प्रकार हम सहजता से स्थानीय सूर्योदय सूर्यास्त प्राप्त कर सकते है ।

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