ज्योतिष और रोग व आयुर्वेदिक उपचार

प्रिय पाठक गण::-

ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा जाता है विश्व के हर कोने में ज्योतिष विद्या का प्रयोग अपने अपने तरीके से किया जाता है खगोल में होने वाली घटनाओं का आकलन ज्योंतिष विद्या के द्वारा ही किया जाता है चाहे घटना दृश्य हो या अदृश्य ज्योतिष विद्या दोनो की गणना करती है दृश्य घटनाओं का सही आकलन करके विद्वान ज्योतिष की सार्थकता सिद्ध किए हैं।

आज टेक्नोलॉजी और विज्ञान के युग में भी ज्योतिष अपनी पहचान कायम रखा है मानव समाज जब रोगों से ग्रस्त होता है और जब सब जगह से हार जाता है तो ज्योतिष के शरण में आता है।

मेरा ये मानना है कि मानव जीवन के लिये रोग बहुत ही  कष्टकारी होता है रोगों से मानव मानसिक आर्थिक और शारीरिक तीनों प्रकार से कष्ट पाता है इसलिये मानव इन रोगों से निजात पाने के लिये अनेक उपाय करता है और इन रोगों पर पानी की तरह पैसा बरबाद करता है फिर कुछ रोग ऐसे है जो जानलेवा साबित होते है अथवा कुछ रोग असाध्य है इसका कोई इलाज नहीं है ।
आज हम हृदय रोग होने  के ज्योतिष योग और ज्योतिषिय उपाय पर यह लेख लिख रहे हैं।

हृदय रोग निम्न ज्योतिषिय कारणों से हो सकता है : :-
1-जन्म कुण्डली में चंद्रमा यदि शत्रुगृही हो तो हृदय रोग होता है यह वचन  (सारावली) का है । जन्म कुण्डली में चंद्रमा चतुर्थ भाव का कारक है और चतुर्थ भाव हृदय का स्थान है अतः चन्द्रमा के पीड़ित होने से हृदय रोग होता है यह सिद्धांत उचित है ।
2- जन्म कुण्डली में सूर्य यदि कुंभ राशिगत हो तो धमनी मे अवरोध उत्पन्न करता है । यह वचन (सारावली) ग्रंथ का है।

3- जन्म कुण्डली में शुक्र यदि मकर राशिगत हो तो जातक हृदय रोगी होता है । यह वचन (सारावली) ग्रंथ का है।

4- जन्म कुण्डली में षष्ठेश सूर्य यदि चतुर्थ भावगत हो तो जातक हृदय रोगी होता है यह वचन (जातकालंकार ) का है।

5-जन्म कुण्डली मे लग्नेश निर्बल हो और राहु चतुर्थगत हो तो हृच्छल (हृदय रोग) रोग होता है आज(जातक पारिजात) 

6- जन्म कुण्डली मे तृतीयेश यदि केतु से युक्त हो तो जातक हृदय रोगी होता है । (जातक पारिजात )

7- जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव मे पापग्रह हो चतुर्थेश पाप युत हो तो हृदय रोग उत्पन्न करता है । (सर्वार्थचिंतामणि )

8-जन्म कुण्डली मे मकर राशिगत सूर्य सामान्य हृदय रोग उत्पन्न करता है । (जातक सारदीप) 

9- जन्म कुण्डली मे सूर्य वृष राशिगत हो तो जातक हृदय रोग से ग्रस्त होता है । (हो0 प्र0) 

10-जन्म कुण्डली मे वृश्चिक राशिगत सूर्य हो तो हृदय रोग उत्पन्न करता है । (शंभु हो0) 

11- जन्म कुण्डली मे चतुर्थ भागवत षष्ठेश की युति सूर्य शनि के साथ होने पर हृदय रोग होता है ।

12- जन्म कुण्डली के चतुर्थ भावगत यदि शनि मंगल गुरू हो तो हृदय रोग होता है । (होरारत्न) 

13- जन्म कुण्डली में तृतीयेश यदि राहु केतु से युक्त हो तो हृदय रोग होता है । (ज्योतिष रत्न) 

14- जन्म कुण्डली मे यदि शनि शयनावस्था मे हो तो भी हृदय शुल होता है । (ज्योतिष रत्न) 

15- जन्म कुण्डली मे सूर्य यदि सिंह राशिगत हो तो हृदय रोग होता है । (बी. बी रमन) 

17- जन्म कुण्डली मे सूर्य यदि अष्टम भाव मे हो तो हृच्छूल रोग होता है । (गर्ग बचन) 

18- जन्म कुण्डली मे शनि यदि अष्टम भाव गत हो तो हृच्छूल रोग होता है । (गर्ग बचन) 

19- जन्म कुण्डली मे राहू यदि द्वादश भावगत तो हृच्छल रोग होता है । (भाव प्र0) 

20- जन्म कुण्डली मे चतुर्थेश चतुर्थ भागवत यदि पापयुत हो तो हृदय रोग होता है (गदावली) 

21- जन्म कुण्डली मे चंद्र राशि के द्वितीय द्रेष्काण मे जन्म हो तो हृच्छल रोग होता है ।





।। हृदय रोग कारक ग्रह ।।
1- सामान्य हृदय रोग कारक- सूर्य, शनि ।
2- हृदयाघात कारक- शनि मंगल ।

3- उच्च रक्तदाब (हाइ ब्लड प्रेशर) कारक- मंगल गुरू ।
4- हृच्छल कारक राहु, शनि तथा मंगल 

।। हृदय रोग का ज्योतिषिय उपाय ।।
1- हृदय रोग कारक ग्रह का रत्न धारण ।
2- रोग कारक ग्रह का औषधिय स्नान ।
3- कारक ग्रह का मंत्र जाप ।
4- स्त्रोत पाठ (ललिता स्त्रोत/ सहस्त्रनाम, दुर्गासप्तसती का कवच पाठ, आदित्य हृदय स्त्रोत, यदि राहु के कारण रोग हो तो बटुक भैरव या महाविद्या, शतचण्डी प्रयोग, मृत्यु संजीवनी प्रयोग।
हाइ ब्लड प्रेशर के रोगी रास पंचाध्यायी और सूर्य सूक्त का पाठ करे ।
इसके अतिरिक्त यन्त्र मंत्र अनुष्ठान भी किया जा सकता है। जिसका विधि इमेज के माध्यम से दीया जा रहा है पाठक गण इसका भी लाभ उठा सकते हैं।
इस यन्त्र को हमारे यहां से प्राप्त कर सकते हैं पर मंत्र जप आवश्यक है अतः मंत्र जप से सिद्ध यंत्र पाने के लिए हमारे केंद्र पर अनुष्ठान करके मंत्र का जाप करके जागृत यंत्र दीया जाता है अतः जप का खर्च प्रदान कर सिद्ध यंत्र प्राप्त कर सकते हैं या अपने यहां जप कराकर भी सिद्ध यंत्र प्राप्त कर सकते हैं।

स्त्रोत पाठ, दुर्गासप्तशती पाठ, महाविद्या मृत संजीवनी आदि अनुष्ठान हेतु सम्पर्क कर सकते हैं ।

जन्म कुण्डली या ज्योतिष से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के समस्या के समाधान के लिए सम्पर्क कर सकते हैं।

ह्रदय रोग का आयुर्वेदिक उपचार ।


उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
सेवन विधि
1 गिलास गुनगुने पानी में 30-30 ML एलोवेरा जूस + हिमालयन वेरी जूस + हर्बल गोमूत्र + श्री तुलसी 2बूंद सुबह साम खाली पेट सेवन करे ।
हार्ट स्ट्रॉन्ग टैबलेट 1सुबह नाश्ता के बाद
एलोमुक्ता टैबलेट 1 भोजन के वाद ।
नोट - आचार, पेस्ट्री, नमकीन, बिस्किट, अंडा और डिब्बा बंद खाना नही खाना चाहिये ।

निम्न रक्तचाप  ( Low Blood Pressure )
1 गिलास गुनगुने पानी में 30 ml एलोवेरा + 30 ml नोनी जूस +30ml जीवन शक्ति रस 2 बूंद श्री तुलसी ड्रॉप खाली पेट सेवन करें।
डेली डाइट, वीटा डाइट और मोरिंगा टैबलेट सेवन करे।

अधिक रक्त कोलेस्ट्रॉल (High Blood cholesterol)
1गिलास गुनगुने पानी में एलोवेरा जूस 30 ml +हिमालयन वेरी 30 ml + श्री तुलसी ड्रॉप की 2बूंद सुबह साम खाली पेट सेवन करें ।
गार्लिक प्योर टैबलेट सुबह साम खाने के बाद सेवन करें ।
ट्रूहेल्थ कैप्सूल सुबह साम 1 टैबलेट या रात में 1टैबलेट ले सकते हैं।
फ्लैक्स सीड 10ग्राम दिन में 2 बार सेवन करें।
नोट - आयुर्वेदिक दवा की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्धता आदि की जानकारी  हमारे यहां से प्राप्त किया जा सकता है ।
Arvind Kumar Tiwari
tiwari.arvind201@gmail.com
tiwariherbalindia@gmail.com

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