स्पष्ट चंद्र कैसे निकाले ।

प्रिय पाठक गण- -
                     भारतीय ज्योतिष मे चंद्रमा का बहुत ही महत्व है ज्योतिष मे चंद्रमा को मन का कारक बताया गया है साथ ही चंद्रमा को शीघ्रगामी ग्रह भी बताया गया है । वास्तव मे चंद्रमा सभी ग्रहो से तीव्र चलने वाला ग्रह है । 
चंद्रमा के राशि अंशों के द्वारा तिथि, नक्षत्र, योग आदि का निर्धारण होता है अतः स्पष्ट चंद्र का बहुत महत्व है ।
आजकल कइ पंचांगो मे दैनिक ग्रह तालिका मे चंद्रमा का स्पष्ट मान राशि अंश कला विकला मे लिखा मिल जाता है 
मगर कइ पंचांगो मे नही लिखा होता है । 
हम अक्सर देखते है कि पत्रिका बनाते समय अन्य ग्रहो के साथ हम चंद्रमा का स्पष्ट मान भी पंचांग से देखकर लिख देते है मगर चंद्रमा अति शीघ्रगामी होने के कारण प्रातः से इष्टकाल तक बहुत अंतर आ जाता है अन्य ग्रहो मे कोई खास अंतर नहीं होता है मगर चंद्रमा मे बहुत अंतर आ जाता हैं इसलिए इष्टकाल के अनुसार चंद्रमा का स्पष्ट मान निकालकर ही पत्रिका बनानी चाहिए ।
आइये आज हम स्पष्ट चंद्र का मान निकालना सिखते है ।
माना कि हमे दिनांक 1 अप्रैल 2017 को वाराणसी के प्रातः 5.30 का चंद्र स्पष्ट निकालना है ।

सबसे पहले हम प्रातः 5.30 का इस्टकाल निकालेंगे इसकी सबसे सहज विधि है रेलवे समय मे सूर्योदय घटाकर 5 से गुणा कर 2 से भाग देने पर घटी पल मे इष्टकाल निकल जायेगा ।उदाहरण के माध्यम से समझे ।
हमे 1 अप्रैल 2017 के प्रातः 5.30 का इष्टकाल निकालना है ।अब हम 1 अप्रैल का वाराणसी का सूर्योदय देखा तो 5.51 आया मगर हमे 5.30 का ही इस्टकाल निकालना है इसका मतलब है सूर्योदय से पिछे का सूर्योदय लेना होगा अर्थात् हम 5.30 मे 31/3/2017 का सूर्योदय लेना होगा जो 5.52 है । चूंकि 5.30 का समय 24 घंटे के बाद का समय है अतः 24 +5.30 =29.30 है इसमें सूर्योदय 5.52 घटाया तो 23.38 आया । इसको 5 से गुणा कर 2 से भाग दिया तो 59 घटी 05 पल आया ।
अब इस इस्टकाल से हम भयात और भभोग बतायेंगे ।
सबसे पहले हम भयात और भभोग का अर्थ समझेंगे ।
भयात- वर्तमान नक्षत्र आरंभ से लेकर इष्टकाल पर्यंत तक जितना समय व्यतीत करे वह समय घटी पल मे भयात है और नक्षत्र का आरंभ से लेकर अंत तक का समय घटी पल मे भभोग होता है ।
इसकी सहज विधि इस प्रकार है गत नक्षत्र (वर्तमान से पहला) की पंचांगस्थ घटी पल को 60 मे घटाकर इष्टकाल जोडने से भयात होता है और उसी शेष मे वर्तमान नक्षत्र की घटी पल जोडने से भभोग होता है । यदि इष्ट काल से गत नक्षत्र की घटी पल कम हो तो इष्टकाल मे गत नक्षत्र की घटी पल घटाने से भयात होता है और भभोग पूर्व विधि से ही बनाया जाता है ।आइये उदाहरण द्वारा भयात भभोग बनाते है ।
1 अप्रैल 2017 को वाराणसी मे रोहिणी नक्षत्र का मान 52.35 है अगर यह मान घटी पल मे न उपलब्ध हो तो स्टैंडर्ड टाइम मे सूर्योदय घटा कर शेष समय का 5 से गुणा कर 2 से भाग देने पर घटी पल आ जायेगा ।


गत नक्षत्र अर्थात् 31 मार्च को कृतिका नक्षत्र है जिसका समाप्ति समय 57.30 घटी है ।
चूंकि कृतिका नक्षत्र का घटी पल इष्टकाल से कम है अतः इष्टकाल मे गत नक्षत्र घटायेगे जैसे 59.05 मे 57.30 घटाया तो 1.35 आया यह भयात है । भभोग बनाने के लिये हमने 60 मे गत नक्षत्र अर्थात् 57.30 जोडा तो 2.30 आया इसमें हमने वर्तमान नक्षत्र का घटी पल 52.35 जोडा तो भभोग 55.05 आया ।
अब चंद्रमा स्पष्ट बनाने के लिये भयात के एक जातीय 95 मे 60 से गुणा कर गुणनफल मे भभोग एक जातीय 3305 से भाग दिया तो 1. 43.28 आया ।
इसमें 60 गुणित गत नक्षत्र जोडा जैसे कृतिका गत नक्षत्र है तो 60×3 =180 जोडा तो गुणनफल 181.43.28 है ।
इसको 2 से गुणा कर 9 से भाग दिया तो 40.22.59 आया ।
ये 40. 22 59 अंश कला विकला है चूंकि अंश 30 से अधिक है अतः अंश मे 30 से भाग दिया तो स्पष्ट चंद्र का मान निकल आया ।
40 मे 30 घटाया तो 1.10.22.59 आया यही 1 अप्रैल 2017 के प्रातः 5.30 का वाराणसी का स्पष्ट चंद्रमा का मान है ।
स्पष्ट चंद्रमा निकालने का नियम इस प्रकार है ।
भयात के एक जातीय मे 60 से गुणा कर गुणनफल मे भभोग एक जातीय से भाग दे भाग फल मे 60 गुणित गत नक्षत्र को जोडकर 2 से गुणा कर 9 से भाग देने पर चंद्रमा का स्पष्ट मान निकल जायेगा ।
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टिप्पणियाँ

paras kumar mishra ने कहा…
यदि सायं 5:30 का चंद्र स्पष्ट निकालना हो तो कैसे निकालेंगे?
Unknown ने कहा…
Bhut Sundar ji
Unknown ने कहा…
ATI Sundar बहुत ही सुंदर
Unknown ने कहा…
60 में 57:30 जोड़ने को लिखा गया है जबकि 60 में 57:30 घटाने पर 2:30 आयेगा (लिपिकीय त्रुटि लगती है किंतु अल्पज्ञ पाठक भ्रमित होजाएगा।
Unknown ने कहा…
isko demo ke sath dete to achha hota .bikram naik

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