जन्म कुण्डली निर्माण कैसे करे ।
ज्योतिष रूपी कल्प वृक्ष का मूल ग्रहगणित है सिद्धान्त संहिता और होरा इसकी तीन शाखायें है षोडश वर्ग उसकी सोलह मंजरियाँ है और फलित इस वृक्ष का सुशोभित मीठा फल है । परंतु इस मीठे फल को प्राप्त करने के लिए हमे जन्म पत्रिका का निर्माण करना होगा ।
आइये जानते है जन्म कुण्डली का निर्माण कैसे होगा ।
जन्म कुण्डली निर्माण के लिए हमे तीन चीजों की आवश्यकता होती है । 1- जन्म तिथि या जन्म दिनांक 2- जन्म समय और 3- जन्म स्थान ये तीनों जब शुद्ध और सही प्राप्त होगा तो शुद्ध जन्म कुण्डली का निर्माण होगा ।
।।जन्म तिथि या जन्म दिनांक- ।।
पहले के जमाने मे जन्म तारीख तिथि मिति और संवत् मे लिखा जाता था जैसे चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2074
आज के समय मे जन्म तारीख या दिनांक मे लिखा जाता है जैसे 29 मार्च 2017 मगर दिनांक बहुत सावधानी से लिखना चाहिये कभी कभी रात के 12 बजे के बाद का दिनांक लिखते समय अक्सर त्रुटि हो जाया करती है । हमारे भारत मे सूर्योदय से सूर्योदय तक एक दिन होता है मगर अंग्रेजी मे रात्रि 12 बजे के बाद दिनांक बदल जाता है इसलिए आजकल यदि 12 बजे रात्रि के बाद जन्म हो तो जन्म समय इस प्रकार 28/29/3/2017 लिखना चाहिये।
।।जन्म समय- ।।
पहले के जमाने मे जन्म समय दिन और रात और सुबह तथा शाम के रूप मे लिखा जाता था मगर आजकल इस आधुनिक परिवेश मे जन्म समय AM या PM मे लिखना चाहिये रात्रि 12 बजे से दिन के 12 बजे तक AM होता है और दिन के 12 बजे से रात्रि 12 बजे तक PM होता है ।
।। जन्म स्थान ।।
जन्म दिनांक और जन्म समय के साथ जब भी जन्म स्थान लिखे उसमें जिला के साथ साथ प्रदेश का जिक्र अवश्य करे अथवा आसपास के किसी बडे शहर का नाम लिखे जिससे उस स्थान को खोजने मे सुविधा हो अगर संभव हो तो अक्षांश और रेखांश भी लिख देना चाहिए अगर अक्षांश रेखांश की जानकारी न हो तो जिला और उसके आसपास के बडे शहर का ही नाम लिखने से सही अक्षांश और रेखांश की जानकारी प्राप्त हो जाता है और इसी अक्षांश और रेखांश के आधार पर जन्म पत्रिका का निर्माण किया जाता है ।
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