अयनांश साधन की रीति ।

      ।। इष्टकालिक अयनांश साधन की रीति ।।
अथ शराब्धियुगै रहित: शक्रो, व्यवहृत: खरसैरयनांशकां:।
मधुसितादिकमासगणं प्रति,  शरपलै: सहितं कुरू सर्वदा ।।

अयनांश जानने के लिये शाके संवत् मे 445 घटाकर जो शेष बचे उसमें 60 से भाग देने पर लब्धि अयनांश और शेष उसकी कला होती है ।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से जन्म मास तक जितने मास विते हो उस संख्या को 5 से गुणा करने पर जो लब्धि आये वह विकला होता है और इस विकला को जोडने से इष्टकालिक अयनांश होता है ।

                           || -उदाहरण- ||
शाके संवत् प्राप्त करने का सबसे सरल तरीका है सन् मे 57 जोडने से विक्रम संवत् होता है और इस विक्रम संवत् मे 135 घटाने से शाके संवत् होता है जैसे 2017मे 57 जोडा तो 2074 आया इसमें 135 घटाया तो 1929 शाके संवत् प्राप्त हुआ ।
इस शाके संवत् 1929 मे 445 घटाया तो 1494 आया इसमें 60 से भाग दिया तो लब्धि 24 और शेष 54 आया विकला जानने के लिये हमने चैत्र माह का अंक 1 लिया इसमें 5 से गुणा करने पर गुणनफल 5 आया इसको हमने 24/44 मे जोडा तो इष्टकालिक अयनांश 24/44/05 आया ।
ग्रह लाघव के मत से भी अयनांश निकालने की यही विधि है अंतर केवल इतना है कि इसमें शाके संवत् मे 445 न घटाकर 444 घटाते है इस प्रकार भी अयनांश 24 ही आयेगा केवल कला 44 के जगह 45 हो जायेगा जिससे कोई बहुत बडा फर्क नही आने वाला है ।

आजकल चित्रा पक्षिय अयनांश ज्यादा प्रचलन मे है और ज्यादातर चित्रा पक्षिय अयनांश ही प्रयोग हो रहा है ।
चित्रा पक्षिय अयनांश निकालने की विधि है ईस्वी सन् मे 1900 घटाकर शेष मे 50.26 विकला से गुणा करने पर विकलाये प्राप्त होगी इन विकलाओ को अंश आदि बनाकर उन्हें 22°/27/38 मे जोड देने से अयनांश प्राप्त हो जाता है ।
जैसे ईस्वी सन् 2017  मे 1900 घटाया तो 117 आया इसमें 50.26 विकला से गुणा किया तो 5880.42 आया इसको कला बनाने के लिये 60 से भाग दिया तो 98 कला आया इसको अंश बनाने के लिए 60 से भाग दिया तो भागफल 1 और शेष 38 आया इसको 22°/27/38 मे जोडा तो 24°/05/38 आया ये चित्रा पक्षिय अयनांश है ।

वर्तमान मे जो साफ्टवेयर आदि प्रचलन मे है या ये कहे की लहरी, रमन,और कृष्ण मुर्ति का अयनांश भी प्रचलन मे है ।
रमन का अयनांश चित्रा पक्षिय अयनांश से 1 अंश 28 कला कम है । और कृष्ण मुर्ति पद्धति का अयनांश 6 कला कम होती है ।


टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
सबसे शुद्ध अनांस किसका होता है?
Arvind kumar Tiwari ने कहा…
कृष्ण मूर्ति का अयनांस चित्रा पक्षीय अयनांस से मिलता जुलता है हम काशी के लिए कृष्णमूर्ति पद्धति का अयनांस ही प्रयोग करते है |

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