त्रिशांश कुंडली बनाने की विधि एवं फलित विचार

प्रिय पाठक गण :: --
                 त्रिशांश कुण्डली का  निर्माण सप्तवर्गी कुण्डली में बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
शास्त्रो मे लिखा है ।
कुजशनिजीवज्ञसिता: पन्चेन्द्रियवसुमुनीन्द्रियाशानाम् ।
विषमेषु समर्क्षेषूत्क्रमेण त्रिशांशपा: कल्प्या:।।
त्रिशांश राशि का तीसवां भाग होता है अर्थात प्रत्ये भाग 1 अंश का होता है । त्रिशांश कुण्डली बनाने के लिये हमे ग्रह स्पस्ट की आवश्यकता होती है जो आपके द्वारा निकाला जाता है ।
मै यहां एक काल्पनिक ग्रह स्पष्ट की फोटो डाल रहा हूं उदाहरण के लिये पाठक गण देख सकते है  ।
ग्रह स्पष्ट सारिणी
त्रिशांश कुण्डली बनाने के लिये हमे सम विषम पर विशेष ध्यान देना पडता है ।
विषम राशियों मे प्रथम 5 अंश तक मंगल की मेष राशि होती है  इसके बाद अर्थात् 5 से 10 अंश तक शनि की कुंभ राशि होतीहै इसके बाद 10 अंश से 18 अंश तक गुरू की धनु राशि होती है और 18 अंश सेलिंग 25 अंश तक बुध की मिथुन राशि और 25 से 30 अंश तक शुक्र की तुला राशि होता है ।
वही सम राशि मे प्रथम 5 अंश तक शुक्र की वृष राशि 5से 12 अंश तक बुध की कन्या राशि तथा 12 अंश से 20 अंश तक गुरू की मीन राशि और 20 से 25 अंश तक शनि की मकर राशि एवं 25 अंश से 30 अंश तक मंगल की वृश्चिक राशि होता है ।
इसका उदाहरण आप इस चार्ट से देख सकते है ।

इस चार्ट मे स्पष्ट दिख रहा है सभी विषम राशियों मे विषम राशियाँ ही है वहीं सम राशि लाइन मे सभी सम राशियां है ।
अब हम उपरोक्त ग्रह स्पष्ट और त्रिशांश चक्रम के माध्यम से त्रिशांश कुण्डली बनाकर दिखाते है ।
किसी भी कुण्डली के लिये सबसे पहले लग्न निर्धारित करना पडता है त्रिशांश कुण्डली मे भी सबसे पहले लग्न निर्धारित करेंगे ग्रह स्पष्ट सारिणी मे लग्न 3राशि 4 अंश 0 कला 29 विकला लिखा है । इसका मतलब है लग्न कर्क राशि का 5 अंश के आस पास है । कर्क राशि सम राशि है और सम राशि का पहला त्रिशांश 5 अंश तक वृष राशि का है अतः त्रिशांश कुण्डली का लग्न वृष होगा ।
अब हम त्रिशांश कुण्डली मे ग्रहो को स्थापित  करेंगे सबसे पहले हम सूर्य वृष राशि का 20 अंश तक है त्रिशांश चक्रम के अनुसार सम राशि मे 20 अंश तक गुरू की राशि मीन राशि का है इसलिए सूर्य को त्रिशांश कुण्डली के मीन राशि में स्थापित करेंगे ।
चन्द्रमा वृश्चिक राशि का 30 अंश के आस पास है वृश्चिक राशि भी सम राशि है इसलिए सम राशि का अंतिम वृश्चिक का ही है अतः त्रिशांश कुण्डली मे चंद्रमा को वृश्चिक राशि मे स्थापित करेंगे ।
मंगल वृष राशि का लगभग 12 अंश
 का सम राशि सारिणी में 12 अंश बुध की कन्या राशि है अतः मंगल को त्रिशांश कुण्डली मे कन्या राशि मे स्थापित करेंगे ।
बुध वृष राशि का 30 अंश के आस पास है अतः बुध को वृश्चिक राशि मे स्थापित करेंगे ।
गुरू कर्क का 13 अंश के आस पास है अतः गुरू गुरू के मीन राशि मे स्थापित करेंगे क्योंकि सम लाइन मे 12 अंश से 20 अंश तक गुरू का राशि है ।
शुक्र मेष राशि के 11 अंश तक है अतः विषम राशियों के लाइन मे अंश देखा तो 11 अंश मे गुरू की धनु राशि आया अतः शुक्र को धनु राशि मे स्थापित करेंगे ।
शनि मीन राशि का 6 अंश तक है त्रिशांश चक्रम मे 5 अंश के बाद 12 अंश तक बुध की कन्या राशि की है अतः शनि त्रिशांश कुण्डली के कन्या राशि मे स्थापित करेंगे ।
इसी प्रकार राहु केतु को भी स्थापित करेंगे ।
ये सब करने के बाद फाइनल त्रिशांश कुण्डली इस प्रकार की होगी।

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