द्वादशांश कुंडली बनाने की विधि एवं फलित का सिद्वान्त

प्रिय पाठक गण- 
                 सप्तवर्गी जन्म कुण्डली के निर्माण मे द्वादशांश कुण्डली का विशेष महत्व है इस कुंडली से (स्याद द्वादशांशे -पितृमातृसौख्यम ) माता पिता के सुख दुख के बारे मे जानकारी प्राप्त किया जाता है ।
जातक के जीवन मे शरीर, धन धान्य , भाइयों और पत्नी के सुखो के अलावा इस दुनिया मे उनके माता पिता भी होते है ।
अतः जातक के माता पिता के सुख दुख का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से जातक के जीवन पर पडता है जैसे जातक के जन्म समय मे माता पिता अस्वस्थ हो दुखी हो गरीब हो तो बालक के पालन पोषण मे कई प्रकार की समस्याये आती है स्वस्थ, नीरोगी और घन धान्य से परिपूर्ण रहने पर जातक का परवरिश सुख सुविधा के साथ होता है ।
परन्तु इन भौतिक सुखो के अलावा जातक के साथ माता पिता के अन्य सुख दुख भी जुडे है जैसे माता पिता के द्वारा जातक का परवरिश होता है वैसे ही जातक के द्वारा भी माता पिता को कई प्रकार का सुख मिलता है ।
इसलिये द्वादशांश कुण्डली के द्वारा माता पिता का सुख दुख कैसा होगा यह जानने के लिये द्वादशांस कुंडली का निर्माण करते हैं ।
मानसागरी जैसे ग्रंथों मे द्वादशांश के द्वारा जातक का आयु निर्धारण भी बताया गया है पर मूल रूप से द्वादशांश कुण्डली माता पिता का सुख जातक को कितना प्राप्त होगा इसी का विचार किया जाता है ।

आइये अब हम द्वादशांश कुण्डली निर्माण करते हैं हर राशि मे 30 अंश होता है इतना तो आप समझ ही गये होंगे इस 30 अंश मे 12 का भाग देने पर एक द्वादशांश का मान 2अंश 30 कला का होता है ।
इस प्रकार एक राशि मे 12 द्वादशांश होते है और प्रत्येक द्वादशांश की गणना उसी राशि से होती है और क्रम से सभी द्वादशांश होते है जैसे यदि मेष का लग्न है तो पहला द्वादशांश मेष का होगा दूूूसरा द्वादशांश वृष तीसरा मिथुन चौथा कर्क पांचवा सिंह छठवां  कन्या सातवां तुला आठवाँ वृश्चिक नौवां धनु दसवां मकर ग्यारहवां कुंभ बारहवां मीन का द्वादशांश होगा ।
इसी प्रकार वृष का लग्न होने पर 1-वृष 2-मिथुन 3-कर्क 4- सिंह 5- कन्या 6-तुला 7-वृश्चिक 8-धनु 9- मकर 10-10-कुंभ 11-मीन 12- मेष का होगा ।
इसी प्रकार अन्य राशियों के भी सहजता से द्वादशांश निकाला जा सकता है ।
इन द्वादशांशो के स्वामी क्रम से गणेश, अश्विनी कुमार, यम व सर्प होते है सहजता के लिये इस द्वादशांश चक्र सारिणी भी देखा जा सकता है ।
द्वादशांश चक्र सारिणी 

उपरोक्त चक्र के आधार पर भी आसानी से द्वादशांश कुण्डली बनाया जा सकता है ।
सप्तमांश चक्र की संपूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करे ।
जिस प्रकार होरा कुण्डली,द्रेष्काण कुण्डली, नवमांश कुण्डली का लग्न निकाले है उसी प्रकार द्वादशांश कुंडली का भी लग्न निकालेंगे आगे की प्रक्रिया एक समान है ।



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