जन्म कुण्डली निर्माण मे इष्टकाल और लग्न का बहुत ही महत्व होता है यह आप सब दिनमान से लग्न निकालने की विधि से जान चुके होंगे ।यह इष्टकाल जितना शुद्ध होगा उतना ही शुद्ध लग्न होगा और उतना ही शुद्ध कुण्डली अर्थात् जन्म पत्रिका बनेगी । कहने का मतलब है इष्टकाल जन्म पत्रिका रूपी महल (मकान) का नीव (आधार) है यह आधार जितना मजबूत होगा मकान उतने मजबूत बनेगी इसी प्रकार से इष्टकाल जितना शुद्ध होगा कुण्डली उतनी ही शुद्ध बनेगी । अभी तक आपलोगों ने दिनमान से इष्टकाल निकालने की विधि को जाना है अब हम सूर्योदय से इष्टकाल और लग्न निकालने की विधि लिखेंगे जो दिनमान की विधि से बहुत ही आसान और सरल है इसे हम आसानी से समझ सकते है । जिस प्रकार हम दिनमान से लग्न निकालते है ठीक उसी प्रकार से सूर्योदय से निकालेंगे वैसे दोनो का परिणाम एक समान ही आता है पर कभी कभी एकाध पल का अंतर आ जाता है । सबसे पहले हम पंचांग मे लिखित सूर्योदय को नोट कर ले इस सूर्योदय मे संकेता अनुसार रेलवे अंतर का संस्कार करे ।संस्कार करने के बाद जो समय आयेगा उसको नोट करले तथा जन्म समय मे इस संस्कारित समय को घटा कर शेष को घटी पल बनाले तथा इ...
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