सप्तमांश चक्र कैसे बनाये |

प्रिय पाठक गण 😞😞😞

                                                  सप्तवर्गी जन्म पत्रिका में सप्तमांश चक्र बहुत ही मत्वपूर्ण चक्र है इस चक्र से सन्तान से संबन्धित सभी जानकारिया उपलब्ध होता है आज इस भौतिकवादी युग में सन्तान की जानकारी कौन नहीं चाहता है इसलिए सप्तमाँस चक्र की आवश्यकता होती है | 


भारतीय ज्योतिष में यह चक्र ऐसा है जिस पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है क्योंकि ये चक्र ऐसा है जंहा हम दो के बाद हमारे दो की गणित होता है कितने पुत्र होंगे कितनी पुत्रिया होंगी कमजोर होंगे मजबूत होंगे इनके आपसी सम्बन्ध किस प्रकार के होंगे इसकी पूरी जानकारी यही चक्र देता है तो आइये इस चक्र की समूर्ण जानकारी प्राप्त करते है |

 इससे पहले हम होरा कुण्डली और द्रेष्काण कुण्डली का वर्णन कर चुके है उसकी जानकारी के लिए लिंक का प्रयोग कर सकते है | 

 होरा कुण्डली की जानकारी के लिए यंहा क्लिक करे |   

 द्रेष्काण कुण्डली की जानकारी के लिए यंहा क्लिक करे |  

 पंचधा मैत्री की जानकारी के लिए यंहा क्लिक करे |     

 ग्रह स्पष्ट की जानकारी के लिए यंहा क्लिक करे | 

सप्तमांश चक्र बनाना बहुत ही आसान है एक राशि के सातवे भाग को सप्तमांश कहा जाता है और एक सप्तमांश में ४ अंश १७ कला ८.५ विकला  होती  है  विषम राशि { मेष ,मिथुन ,सिंह ,तुला ,धनु ,कुम्भ } का सप्तमांश उसी राशि से आरम्भ होता है जैसे मेष का आरम्भ मेष से मिथुन का आरम्भ मिथुन से सिंह का आरम्भ सिंह से होता है इसी प्रकार तुला ,धनु ,कुम्भ का आरम्भ तुला धनु कुम्भ से होता है | 

इसी प्रकार  सम राशि {वृष ,कर्क ,कन्या ,वृश्चिक ,मकर ,मीन }का सप्तमांश उसके सातंवी राशि से आरम्भ होता है जैसे वृष की सातवीं राशि वृश्चिक होगा, कर्क की सातवीं राशि मकर होगा, कन्या की सातवीं राशि मीन होगा,वृश्चिक की सातवीं राशि वृष होगा ,इसी प्रकार मकर की सातवीं राशि कर्क और मीन की सातवीं राशि कन्या होगा | 

इसे आसानी से समझने के लिए इस सप्तमांश सारिणी का प्रयोग कर सकते है |

सप्तमांश सारिणी 

अब इस चक्र के माध्यम से हम सप्तमांश कुण्डली को बनाएंगे इसके लिए हम वही फार्मूला प्रयोग करेंगे जो हम होरा कुण्डली और द्रेष्काण कुण्डली के लिए प्रयोग किये थे अर्थात सबसे पहले हम सप्तमांश कुण्डली का लग्न निर्धारित करेंगे हमें लग्न निकलने के लिए स्पष्ट ग्रह तालिका चाहिए यंहा हम वही तालिका लेंगे जो हम होरा कुण्डली और द्रेष्काण कुण्डली में प्रयोग किये थे | 


ग्रह स्पष्ट 

इस ग्रह स्पष्ट चार्ट में हम देख सकते है की मीन लग्न २ अंश  पर है मीन लग्न सम राशि है इसलिए मीन का ४ अंश १७ कला तक पहला सप्तमांश होगा मीन का पहला सप्तमांश उसकी सातवीं राशि कन्या होगा इसलिए सप्तमांश कुण्डली लग्न का कन्या राशि का होगा दूसरा  तुला ,तीसरा,वृश्चिक ,चौथा धनु ,पांचवा मकर ,छठवा कुम्भ ,सातवां मीन ,आठवा मेष ,नौवा वृष ,दसंवा मिथुन ,ग्यारहवां कर्क और बारहवां सिंह राशि होगा | 


इसी प्रकार ग्रहो की भी स्थापना कर देंगे जैसे सूर्य कन्या राशि १० अंश पर है  सारिणी चार्ट में कन्या के नीचे के लाइन में देखा तो तीसरी लाइन  १२ अंश ५१ कला २५ बिकला का मिला दूसरी लाइन ८ अंश १७ कला तक ही था जबकी सूर्य का मान १० अंश तक ही इससे तीसरी लाइन ही सिद्ध हो रहा है इसलिए हमने तीसरी लाइन में कन्या के नीचे देखा तो वृष राशि पाया इसलिए सूर्य को वृष में स्थापित किया जायेगा इसी तरह चन्द्रमा को स्थापित करेंगे चन्द्रमा ग्रह स्पस्ट में तुला के १७ अंश ३७ कला पर होने से सारिणी चार्ट में तुला के नीचे वाले लाइन में १७ अंश  देखा तो ८ कला मिला जबकि चन्द्रमा १७ांश ८ कला से अधिक ३७ कला पर है इसलिए उसके आगे वाली लाइन २१ अंश २५ कला के दाहिने वाली लाइन में और तुला के निचे देखा तो कुम्भ राशि मिला अतः चन्द्रमा को कुम्भ में स्थापित करेंगे इसी प्रकार शेष सभी ग्रहो को स्थापित करेंगे | 

आशा है यह लेख आप सब के लिए उपयोगी होगा और इसका लाभ आप लोग अवश्य प्राप्त करेंगे कोई कमी हो तो विद्जन उचित सलाह अवश्य देंगे | 

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