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पेट का रोग और IMC द्वारा इलाज

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प्रिय पाठक गण आजकल पेट का रोग आम बात हो गया है हर घर में पेट के रोगी है इसकी व्यापकता इतनी बड़ी है की अनुमान लगाना कठिन है कि कितने पेट के रोगी है। पेट के रोग सामान्य रोग नही है इसका व्यापक क्षेत्र है और क्षेत्र महत्वपूर्ण है अतः सबसे पहले हम पेट से संबंधित रोग, लक्षण और समाधान का उल्लेख करते जायेंगे। 1- आंतों में कीड़े (कृमि रोग){INTESTINAL WORMAS} लक्षण पेट खराब रहना और पेट में दर्द व ऐंठन होना। बार बार भूख लगना । वजन कम होना। शारीरिक धकावट महसूस होना। गुदा/मल मार्ग में तथा आसपास खारिश होना। मल में कृमि का आना। सुझाव:: बच्चो में कृमि रोग अधिक होते है अतः उनके खाने पीने में मीठे की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। शौच के पश्चात व भोजन करने से पहले IMC हैंडवाश से हांथ अवश्य धोएं। बच्चे को दूध ना देकर केवल फलों के रस को पानी में मिलाकर देना चाहिए। सुबह 3 चमच पुदीने का रस एक चम्मच अनार व एक चम्मच आंवले का रस देना चाहिए यह कृमि रोग में लाभदायक है। दो भाग दही एक भाग हर्बल शहद कृमि रोग में लाभदायक है। उपचार:: बड़े व्यक्ति 30 ml एलोवेरा जूस+ 30 ml एलो संजीवनी जूस+ 30 ml हर्बल गोमूत्र +2ब

शुगर का कारण और IMC द्वारा निवारण

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प्रिय पाठक गण ::- आजकल पूरा विश्व मधुमेह (डायबिटीज) से परेशान हैं। और भारत तो डायबिटीज का कैपिटल हब बनता जा रहा है भारत पूरी तरह शुगर के जद में आ चुका है भारत मे 60% मैच्योर शुगर रोगी है और 20% लोग प्री डायबिटीज है इस प्रकार 80% आबादी शुगर के जद में है आने वाला समय और भयावह होने वाला है अतः हमे आज से ही सचेत होने की आवश्यकता है। मधुमेह दो तरह का होता है पहला अधिक मधुमेह दूसरा कम मधुमेह (हिपोगलायसिमिया) 1-अधिक मधुमेह अधिक मधुमेह भी दो प्रकार का होता है टाइप 1और टाइप 2 । tipe 1सुगर अनुवांसिक होता है जैसे पिता को था उस कारण बेटे को भी हो गया इसे जेनेटिक रोग कहा जाता हैं। टाइप 2 डायबिटीज ::- लक्षण ::- बार बार पेशाब आना । अधिक प्यास व भूख लगना। वजन का बढ़ना या कम होना। अधिक थकावट महसूस होना। मधुमेह होने का कारण ::- मधुमेह (शुगर)होने के अनगिनत कारण है मगर कुछ मुख्य कारणों की मै यहां पर उल्लेख कर रहा हूं। 1- असंयमित जीवन शैली शुगर का आधार है आजकल 60% लोगों की जिंदगी भागम भाग की है इनके पास समय ही नहीं है की वह अपने सेहत का भी ख्याल कर पाए मशीनों की तरह लगातार लगातार कार्य करते जा रहे

IMC BUSINESS

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Knowledge of IMC BUSINESS IMC कम्पनी भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड डायरेक्ट सेलिंग कम्पनी है जिसका हेड ऑफिस भारत के पंजाब प्रांत के एक शहर लुधियाना में है और कम्पनी की फैक्टरी हरिद्वार में है। कम्पनी के चेयरमैन फाउंडर डाक्टर अशोक भाटिया जी है और मैनेजिंग डायरेक्टर मिस्टर सत्यन भाटिया जी है। IMC कम्पनी का आरम्भ 7जुलाई 2007को हुआ था तब से आज तक कम्पनी लगातार ग्रोथ करती जा रही है और आज डायरेक्ट सेलिंग कम्पनी के रूप में अपनी पहचान बना ली है भारत के हर हिस्से में IMC पहचान बना चुकी हैं। IMC Network Marketing के क्षेत्र मे एक मिल का पत्थर साबित हुई है दिन दूनी रात चौगुनी इसने अपना विकाश किया है और करती जा रही है। श्री सत्यन भाटिया जी के डायरेक्शन में कम्पनी परचम लहरा रही हैं। IMC की विशेषता यह है की इसके सभी प्रोडक्ट ब्रांडेड और 100%आयुर्वेदिक, हर्बल और आर्गेनिक है। IMC कम्पनी मुख्यतः पांच प्रकार के प्रोडक्ट बनाती हैं जो निम्न प्रकार के है। 1- Helth Care product (हेल्थ केयर प्रोडक्ट) आयुर्वेदिक पद्धति से जितनी दवायें बनाई जाती हैं वह IMC बनाती है और यह सभी दवाएं टैबलेट, कैप्सूल, जूस, और

ज्योतिष और रोग व आयुर्वेदिक उपचार

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प्रिय पाठक गण::- ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा जाता है विश्व के हर कोने में ज्योतिष विद्या का प्रयोग अपने अपने तरीके से किया जाता है खगोल में होने वाली घटनाओं का आकलन ज्योंतिष विद्या के द्वारा ही किया जाता है चाहे घटना दृश्य हो या अदृश्य ज्योतिष विद्या दोनो की गणना करती है दृश्य घटनाओं का सही आकलन करके विद्वान ज्योतिष की सार्थकता सिद्ध किए हैं। आज टेक्नोलॉजी और विज्ञान के युग में भी ज्योतिष अपनी पहचान कायम रखा है मानव समाज जब रोगों से ग्रस्त होता है और जब सब जगह से हार जाता है तो ज्योतिष के शरण में आता है। मेरा ये मानना है कि मानव जीवन के लिये रोग बहुत ही  कष्टकारी होता है रोगों से मानव मानसिक आर्थिक और शारीरिक तीनों प्रकार से कष्ट पाता है इसलिये मानव इन रोगों से निजात पाने के लिये अनेक उपाय करता है और इन रोगों पर पानी की तरह पैसा बरबाद करता है फिर कुछ रोग ऐसे है जो जानलेवा साबित होते है अथवा कुछ रोग असाध्य है इसका कोई इलाज नहीं है । आज हम हृदय रोग होने  के ज्योतिष योग और ज्योतिषिय उपाय पर यह लेख लिख रहे हैं। हृदय रोग निम्न ज्योतिषिय कारणों से हो सकता है : :- 1-जन्म कुण्डली में चंद्रमा

ज्योतिष और संतान योग ::-

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प्रिय पाठक गण शास्त्रों के अनुसार हर मनुष्य जन्म से ही तीन ऋण लेकर पैदा होता है जो निम्न प्रकार से है। 1-देव ऋण,2-ऋषि ऋण, 3-पित्र ऋण ।  इन तीनो का अपना अपना महत्व विशेषता है मगर आज मैं यहां पर पित्र ऋण से सम्बन्धित अपना विचार व्यक्त करना चाहता हूं।  मनुष्य पित्र ऋण से तभी ऊऋण होता है जब वह संतान उत्पन्न कर लेता है विना संतान के पिंडत्व क्रिया नष्ट हो जाती हैं। यही कारण है कि हर व्यक्ति संतान को प्राप्त करना चाहता है। और यह मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार है मगर कभी कभी किसी कारण वश संतान सुख से वंचित हो जाता है या संतान सुख प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होने लगता है फिर वह दंपति येन केन प्रकारेण संतान प्राप्त करने का प्रयास करता है डॉक्टर, वैद्य, ओझा,गुनी, ज्योंतिषी आदि के पास जाकर अपनी समस्या का समाधान प्राप्त करना चाहता है। प्रिय पाठक गण यह कोई नई बात नहीं है पहले भी लोग संतान की समस्या से जूझते आए है आज भी जूझ रहे हैं इतिहास प्रमाण है चक्रवती सम्राट महाराज दशरथ जी संतान प्राप्ती के लिए यज्ञ किए थे तब जाकर उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ती हुआ था मगर आज वह युग और समय नही है फिर भी समस्या आज

केमद्रुम योग

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प्रिय पाठक गण: :- जन्म  कुंडली निर्माण के बाद कुंडली का फलादेश किया जाता है इसे फलादेश प्रकरण कहा जाता है । फलादेश प्रकरण मे पंच महापुरुष योग के बाद जिन योगो का विशेष वर्णन किया जाता है उसमे अनफा, सुनफा ,दुरूधरा और केमद्रुम योग है यह सभी योग चंद्रमा से बनता है इन योगो मे विशेष महत्वपूर्ण और हानिकारक योग केमद्रुम योग है इसलिये सबसे पहले हम केमद्रुम योग का वर्णन कर रहे हैं । केमद्रुम योग जितना चर्चित है उतना ही विवादित भी है इसमे कई प्रकार की भ्रांतियां जुड गयी है जो इसके वास्तविक स्वरूप को विकृत कर रहा है इसलिये इस पर लिखना आवश्यक हो गया था । सबसे पहले हम यह जानते है कि केमद्रुम योग बनता कैसे है इस संबंध मे मानसागरी के इस श्लोक को देखना चाहिए जो बहुत ही सहज है  रविवर्जद्वादशगैनफा चन्द्रात् द्वितीयगै: सुनफा । उभयस्थिततैर्दुरूधरा केमद्रुम संज्ञको$तो$न्य: ।। अर्थात् यदि सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह चंद्रमा से द्वादश भाव मे स्थित हो तो अनफा योग होता है ।और  यदि सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह चंद्रमा से द्वितीय मे हो तो सुनफा योग होता है तथा यदि सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह चंद्रमा के द्वितीय द्वादश

पंच महापुरूष योग ::--(रूचक योग,भद्रयोग,हंसयोग ,मालव्ययोग, शश योग )

जन्म पत्रिका मे सप्तवर्गी चक्र के निर्माण के बाद सबसे पहले पंच महापुरुष योग का ही अध्ययन किया जाता है आजकल इन योगों से संबंधित बहुत से भ्रांतियां देखी और सुनी जा रही है यह बहुत चिंता का विषय है इस तरह से इन योगो का मूल स्वरूप ही नष्ट हो जायेगा अतऐव पंच महापुरुष योग का मूल स्वरूप समाप्त न हो इसी उद्देश्य से यह लेख लिखना आरम्भ किया गया  है ।   । पंच महापुरुष योग के संबंध मे मानसागरी मे लिखा है ।  ये महापुरुषसंज्ञका: शुभा: पंच्च पूर्वमुनिभि: प्रकीर्तिता: ।  वच्मितान्सरलनिर्मलोक्तिभि:राजयोगविधिदर्शनेछ्या।। स्वगेहतुन्गाश्रयकेंद्रसंस्थैरूच्चोपगैर्वाचनिसूनुमुख्यै ।  क्रमेण योगारूचकाख्यभद्रहंसाख्यमालव्यशशाभिधाना:।। इस श्लोक मे एक लाइन बहुत ही विचारणीय है राजयोगविधिदर्शनेछ्या अर्थात इन्ही पंच महापुरुष योगों से राजयोग का दर्शन प्राप्त हो जाता है । राजयोगो का तात्पर्य राजा बनना नही अपितु साधन सम्पन्न, प्रतिष्ठा, लोकप्रियता, एवं जनता का नेतृत्व होता है । पंच महापुरुष योग ऐसे फल देने मे सक्षम है इसलिये इन पंच महापुरुष योगों का मै वर्णन कर रहा हूं । रूचक योग- यह योग मंगल ग्रह से बनता है और यह तभी

त्रिशांश कुंडली बनाने की विधि एवं फलित विचार

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प्रिय पाठक गण :: --                  त्रिशांश कुण्डली का  निर्माण सप्तवर्गी कुण्डली में बहुत ही महत्वपूर्ण है । शास्त्रो मे लिखा है । कुजशनिजीवज्ञसिता: पन्चेन्द्रियवसुमुनीन्द्रियाशानाम् । विषमेषु समर्क्षेषूत्क्रमेण त्रिशांशपा: कल्प्या:।। त्रिशांश राशि का तीसवां भाग होता है अर्थात प्रत्ये क भाग 1 अंश का होता है । त्रिशांश कुण्डली बनाने के लिये हमे ग्रह स्पस्ट की आवश्यकता होती है जो आपके द्वारा निकाला जाता है । ग्रह स्पष्ट करने की सरल विधि जानने के लिये यंहा क्लिक करे। मै यहां एक काल्पनिक ग्रह स्पष्ट की फोटो डाल रहा हूं उदाहरण के लिये पाठक गण देख सकते है  । त्रिशांश कुण्डली बनाने के लिये हमे सम विषम पर विशेष ध्यान देना पडता है । विषम राशियों मे प्रथम 5 अंश तक मंगल की मेष राशि होती है  इसके बाद अर्थात् 5 से 10 अंश तक शनि की कुंभ राशि होतीहै इसके बाद 10 अंश से 18 अंश तक गुरू की धनु राशि होती है और 18 अंश सेलिंग 25 अंश तक बुध की मिथुन राशि और 25 से 30 अंश तक शुक्र की तुला राशि होता है । वही सम राशि मे प्रथम 5 अंश तक शुक्र की वृष राशि 5से 12 अंश तक बुध की कन्या राशि तथा 12 अंश से 20 अंश तक