ASTEROID'S {क्षुद्र ग्रह }

हमारे सिर के ऊपर आकाश मण्डल में काफी ऐसी घटनाएं घट रही हैं जो खगोल विज्ञान को आनन्दमय बनाती हैं। सच्चाई यह है कि ब्रह्मांड हमेशा हर समय अर्थात लगातार बदल रहा है, घूम रहा है,हम इसी ब्रम्हाण्ड के बारे में बात करेंगे क्योंकि आप कभी यह नहीं जानते कि आप आकाश मण्डल में क्या देखना चाह रहे हैं। हर खगोलीय घटना खगोल विदो को अचम्भित कर देती है परन्तु कई खगोलीय घटनाये , उतना रोमांचक भी नहीं होती है आनन्द नहीं आता है बल्कि ये कहे की वातावरण में भय व्याप्त हो जाता है तो यह अनुचित नहीं होगा । हमें आनन्द उस समय आता है जब हम आप आकाश में नजरों से अपना पहला क्षुद्रग्रह देखते हैं। खगोल विज्ञान के अनुसार यह क्षुद्रग्रह एक खगोलीय पिंड होते है जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते है । यह अपने आकार में ग्रहो से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते है खगोल विज्ञान उन्हें कैसे दिखाता है इसका सटीक चित्रण है। सूर्य ग्रह और चंद्रमा के विपरीत,यह क्षुद्रग्रह हमेशा चल रहे होते हैं,ये कभी बदलते दीखते हैं और कभी शान्त दीखते है अगर आप रात में आकाश के ऊपर देखेंगे तो यह रोमांचक और गतिशील दिखाई देता है । जिस प्रकार रॉक स्टार तेजी से उभरने वाला सितारा होता है उसी प्रकार क्षुद्रग्रह भी तेजी से उभरने वाला तारा है इन क्षुद्र ग्रहो के प्रति एक मिथक है की पृथ्वी पर एक विशाल क्षुद्रग्रह के प्रभाव से डायनासोर जैसा विशालकाय जीव विलुप्त हो गया डायनासोर के विलुप्त होने का जिम्मेदा रइसी क्षुद्र ग्रह को ठहराया गया था । इस सिद्धांत की कुछ विश्वसनीयता भी है अगर यह सच है, तो यह कुछ सुंदर चौंकाने वाली घटना को यह उद्घाटित करता है मगर पृथ्वी पर वर्तमान कुछ प्रजातियों अथवा मानव जाति में भय का वातावरण उत्पन करता है।
वास्तव में क्षुद्रग्रह तेजी से बढ़ते अंतरिक्ष मलबे हैं केवल इनके क्षोभ और गतिविधि को अधिक रोचक और रोमांचक बनाता है। यह चंद्रमा, ग्रह या तारों के विपरीत, पृथ्वी पर भ्रमणशील है यह क्षुद्रग्रह अनेक बाधाओं को समाप्त कर सकता है,यह पूरी तरह से उचित है और वास्तव में, छोटे क्षुद्रग्रहों का अपना स्तित्व हैं जो हमारे आकाश मण्डल के माध्यम से बनते हैं और पृथ्वी की सतह में कुछ सुंदर प्रभावशाली कंण छोड़ते हैं। संसार के सभ्य लोगो ने क्षुद्रग्रह के प्रभाव को खुशी से ग्रहण किया है।मानवों के इस विचार ने कई विज्ञान कथाओं को जन्म दिया है जो इस विचार को मानते हैं कि जीवन रूप हमारी दुनिया में क्षुद्रग्रहों का अपना ही महत्व है भले ही कुछ लोगो का मत है की ये क्षुद्र ग्रह "दुनिया में युद्ध" की स्थिति शुरू कर सकते हैं। लेकिन अब तक, इस अवधारणा के बारे में कोई प्रमाण नहीं मिला है लेकिन कल्पना और विज्ञान कथा प्रशंसकों की आशंकाओं ने उस अवधारणा को जकड लिया है और आम जनता के मन में भय व्याप्त है कि क्षुद्रग्रह पृथ्वी का नाश कर सकता है हमारे जीवन को मिटा सकता है जैसा कि कथित तौर पर डायनासोरों के साथ हुआ था। लेकिन हमारे मन में बैठे डर को शांत करने और विज्ञान कथाओं को प्रमाण के साथ बदलने का सबसे अच्छा तरीका समझ और ज्ञान है। सच्चाई यह है कि, क्षुद्रग्रहकी गतिविधियों का बहुत अधिक अध्ययन किया गया है और चिन्तनशील वैज्ञानिक समुदाय ने इन अद्भुत आकाशीय पिंडों का महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त किया है। तथा क्षुद्रग्रहों के लिए कई जांच एजेंसिया स्थापित किया गया हैं जिससे हमें उनकी संरचना के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सके और हम उनके व्यवहार को जानकर इनके सम्बन्ध में भविष्यवाणी कर सकते हैं। अब हम जानते हैं कि जितने क्षुद्रग्रह हमें देखने को मिलते हैं, वे सभी एक क्षुद्रग्रह खण्ड से आते हैं जो मंगल और बृहस्पति के बीच में मौजूद है। यह सभी क्षुद्रग्रह उसी खण्ड से आते है ऐसा माना जाता है कि वंहा ऐसे बहुत से खण्ड है जंहा अनेको पिंडो का निवास है विश्व भर के वैज्ञानिकों ने क्षुद्रग्रहों की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त किया है और उन्हें वर्ग सहित कक्षाओं से अलग कर दिया है जो खण्ड का हिस्सा है जो मंगल ग्रह के सबसे करीब है,और वर्ग सी, डी और वी की संज्ञा से वर्गीकृत हैं और एक वर्ग जिसे "सेंटॉर्स" कहा जाता है। जिनकी उड़ान पैटर्न बृहस्पति और यूरेनस के करीब ले जाती है।
नासा द्वारा उड़ान के निकट क्षुद्रग्रहों पर किए गए कुछ परिक्षणों ने इन विलक्षण खगोलीय पिंडों के कुछ अद्भुत अध्ययन किए हैं। 1994 में गैलीलियो की जांच में क्षुद्रग्रह इडा के 1000 मील के भीतर पाया गया था मगर हम यह भी जान ले की इडा का वास्तविक रूप चंद्रमा ही था | संसार भर की एजेंसियों ने अनेको जाँच किया और इन जांचों ने हमें प्रभावित भी किया है और क्षुद्रग्रहों के प्रति जो डर भय हमारे मन में है उसे निकाल दिया है वैज्ञानिकों ने यहां तक ​​किया है कि हमारे भय को दूर करने के लिए और कुछ अद्भुत डेटा उपलब्ध करने के लिए क्षुद्रग्रह पर उतर कर कुछ दिन रहकर अध्ययन किया है। खगोल विज्ञानियों का मानना है कि क्षुद्रग्रहों के बारे में हमें अभी बहुत कुछ सीखना है और यह ज्ञान ही हमें ब्रह्मांड में देखने का आनंद और भी रोमांचक बनाता है।

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