होरा चक्र साधन कैसे करे

प्रिय पाठक गण 

                    

                     जन्म कुण्डली निर्माण से सम्बंधित बहुत से प्रकरणों की हम चर्चा पिछले पोस्टो में करते आये है अब हम जन्म कुण्डली के महत्वपूर्ण भाग षड वर्ग साधन की चर्चा करेंगे ,











 भारतीय ज्योतिष शास्त्र में तीन प्रकार कि कुण्डली निर्माण का विधान बताया गया है | 









१- सप्तवर्गी २-दसवर्गी ३-षोडशवर्गी , वर्तमान समय में  सप्तवर्गी कुण्डली ही बनाया जाता है दस वर्गी और षोडशवर्गी कुण्डली बहुत कम लोग बनवाते है कारन इसमें समय बहुत लगता है और पैसा भी अधिक लगता है इस तरह की कुण्डली वर्तमान में संभव नहीं है यह बिधा लगभग लुप्तप्राय हो चुकी है इसलिए जो चल रहा है हम उसकी ही चर्चा कर रहे है |




















सप्तवर्गी कुण्डली में सात चक्र


होते है लग्न ,होरा ,द्रेष्काण ,सप्तमांश ,नवमांश ,द्वादशांस और त्रिशांश ,इन सातो चक्रो से सात चींजे देखी जाती है | 
लग्न से शरीर के सम्बन्ध में जानकारी मिलता है  ,होरा से धन सम्पति व अचानक आने वाली विपत्ति की जानकारी मिलता है, द्रेष्काण से भाई बहनो की शंख्या ,भाईओ और बहनो में प्रेम शत्रुता एवं कर्मफल की जानकारी मिलता है , सप्तमांश से पुत्र पुत्री की संख्या और उनके आपसी प्रेम शत्रुता की जानकारी मिलता है , नवमांश से स्त्री का रंग ,रूप ,स्वभाव आदि तथा अन्य समस्त फलों की जानकारी नवमांश से मिलता है ,द्वादशांश से माता पिता का सुख आदि की जानकारी प्राप्त होता है ,और त्रिशांश से कष्ट और मृत्यु की जानकारी प्राप्त होता  है | 

लग्न चक्र की जानकारी आपको पहले ही मिल चूका है इसलिए लग्न को छोड़कर शेष छः वर्ग की ही चर्चा करना है इसलिए आज के  प्रकरण में षड्वर्ग चक्र का पहला









 चक्र होरा चक्र साधन की जानकारी प्राप्त करते है  | 








१-होरा चक्र साधन -  प्रत्येक राशि में ३० अंश होता है अर्थात एक राशि ३० अंश का होता है और एक राशि का आधा {15 अंश }







 होरा कहलाता है राशि के १५ अंश तक पहली होरा और १६ से ३० अंश तक दूसरी होरा होती है  | 






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विषम राशि -{मेष ,मिथुन ,सिंह ,तुला ,धनु ,कुम्भ }में पहली होरा सूर्य की और दूसरी होरा चन्द्रमा की होती है | 







सम राशि  {वृष ,कर्क ,कन्या


 ,वृश्चिक ,मकर, मीन } में पहली होरा चन्द्रमा की और दूसरी होरा सूर्य की होती है  |

 




सामान्य तरीके से समझने के लिए ये चक्र देख सकते है 




होरा चक्र सारिणी 

जन्म कुंडली में इस चक्र को कैसे बनाएंगे आइये सीखते है माना की कान्हा का जन्म 27 सितम्बर 2014 को सायं काल ६.०३ बजे मुंबई में हुआ है स्पष्ट लग्न ११/०२/३२/३४ है  और ग्रह स्पष्ट इस प्रकार है निचे स्पष्ट  ग्रह तालिका की फोटो है अब हम दोनों तालिका के आधार पर जनम कुंडली में होरा कुण्डली भरेंगे सबसे पहले हम लग्न की होरा निकालेंगे स्पस्ट ग्रह तालिका में लग्न मीन राशि का २ अंश पर है मीन राशि सम है और २ अंश  पर है तो पहली होरा होगी सम राशि की पहली होरा चन्द्रमा की होती है इसलिए लग्न की होरा चन्द्रमा की है

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इसका मतलब होरा कुंडली का लग्न चंद्र राशि का है इसलिए लग्न भाव में ४ का अंक डाल देना है और दूसरे भाग में सूर्य का अंक ५ लिख देंगे फिर एक एक ग्रह का भी होरा निकालेंगे जैसे सूर्य कन्या के १० अंश पर है तो सम की पहली होरा होने से सूर्य चन्द्रमा की होरा में होंगे अतः सूर्य को चन्द्रमा की होरा में डालेंगे चन्द्रमा तुला १७ अंश पर है तो विषम की दूसरी होरा हुआ और विषम की दूसरी होरा चन्द्रमा की होती है इसलिए चन्द्रमा लग्न में स्थित होगा मंगल वृश्चिक के १५ अंश से अधिक अंश तालिका है १६ से कम है तो आप पहली होरा मान सकते है पर हमने दूसरी होरा माना है और चूँकि वृश्चिक सम है अतः दूसरी होरा सूर्य का होगा तो मंगल सूर्य वाले खाने में जायेंगे बुध तुला के ५ अंश होने से विषम की पहली होरा है तो बुध सूर्य वाले खाने में जायेंगे गुरु कर्क के २१ अंश पर है अतः सम की दूसरी होरा सूर्य की होगा शुक्र कन्या के ३ अंश पर है अतः सम की पहली होरा हुआ अतः शुक्र चंद्र के होरा होंगे शनि तुला २६ अंश पर है तो विषम की दूसरी होरा चन्द्रमा की होता है और राहु केतु कन्या के २५ अंश है अतः सम की दूसरी होरा सूर्य का हुआ इस प्रकार होरा कुंडली तैयार हो जाएगी | 













































अब  आप किसी भी दिन का होरा कुण्डली आसानी से बना लेंगे मित्रो मै उम्मीद करता हूँ कि यह लेख आप लोगों के लिए उपयोगी होगा हमने हर बात स्पस्ट करने का प्रयाश किया है फिर भी कोई बात अगर समझ में न आवे तो कमेंट कर पूछ सकते है यह लेख आपको कैसा लगा आप सभी अवश्य बताएँगे  | 























































































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